क्यों चलाया डॉक्टर ने बीजेपी केंद्रीय दफ्तर में जूता, क्या है 14 कर्मचारियों के सुसाइड का मामला
बताया जा रहा है की एक ब्रिटिश इंडिया कारपोरेशन (BIC) नामी PSU में भ्रष्टाचार को लेकर सरकार की चुप्पी का है मामला , जिसके चलते 14 कर्मियों ने आत्म हत्या करली है
नई दिल्ली: आज अचानक बीजेपी के केंद्रीय कार्यालय में जूता चलने की खबर से सनसनी फेल गयी . बीजेपी के नई दिल्ली स्थित केंद्रीय कार्यालय में गुरुवार को प्रेस कांफ्रेंस के दौरान सांसद व प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा राव पर जूता चला .
जूता चलाने वाले डॉ. शक्ति भार्गव कानपुर के बड़े घराने से नाता रखते हैं. उनका भार्गव नाम से हास्पिटल चलता है. और विवादों से उनका गहरा नाता रहा है. अपने परिवार से अलग अलग सम्पत्तियों को लेकर उनकी क़ानूनी लड़ाई की भी बातें सामने आ रही हैं.
डॉ शक्ति भार्गव पेशे से सर्जन हैं. जूता चलाने के लिए कानपुर से उनका दिल्ली आ पहुंचना वो भी मौजूदा वक्त देश की सत्ता धारी पार्टी के सबसे बड़े कार्यालय पर, यह बात हर किसी को चौंका रही है. यूं तो डॉक्टर भार्गव के अस्पताल पर पूर्व में कथित बेनामी संपत्तियों की छानबीन के सिलसिले में आयकर का छापा पड़ चुका है.
बंगलों की ख़रीद और मोटे निवेश को लेकर डॉ भार्गव आयकर टीम के सवालों के घेरे में भी रहे हैं . मगर डॉ. भार्गव खुद को भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने वाला ‘पहरुआ’ यानी व्हिसिलब्लोअर मानते हैं. अपने फेसबुक Status में एक पोस्ट लिखकर खुद को सार्वजनिक कंपनी में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाने वाला व्हिसिलब्लोअर बताया था . उन्होंने जूता चलाने के पीछे वजह तो नहीं बताई है, मगर उनकी एक फेसबुक पोस्ट से इसका कनेक्शन हो सकता है. ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है .
क्या है 14 कर्मचारियों की मौत का मुद्दा ??
अचानक सुर्खियों में आने वाले डॉ. शक्ति भार्गव कानपुर में सरकारी स्वामित्व वाली सार्वजनिक कंपनी यानी (PSU) ,जिसका नाम ब्रिटिश इंडिया कारपोरेशन (BIC) है , बिक यानी BIC में भ्रष्टाचार को लेकर पूर्व में सवाल उठाते रहे डॉ भार्गव ने इससे जुड़ी एक पोस्ट उनके फेसबुक वॉल पर डाली है.
मंगलवार को लिखी इस पोस्ट में उनका दावा है कि कंपनी के अफसरों के भ्रष्टाचार के कारण पिछले तीन साल के भीतर 14 कर्मचारियों ने आत्महत्या कर ली, मगर कोई कार्रवाई नहीं हुई. आत्म हत्या का कारण ,BIC कंपनी के मज़दूरों और कर्मियों को वर्ष 2017 से सैलरी न मिलना बताया गया है ,
कहा जा रहा है की इसी कारण 100 और कर्मचारी भुखमरी की कगार पर हैं. डॉ. भार्गव का आरोप है कि भारत सरकार के टेक्सटाइल्स मिनिस्ट्री के अधीन आने वाली इस कंपनी के रिवाइवल की सारी कोशिशें भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गईं. कंपनी की संपत्तियों की डील पर भी डॉ. भार्गव ने सवाल खड़े किए हैं.
जूता फेंकने वाले कानपुर के इस चिकित्सक ने फेसबुक पोस्ट पर पीएम नरेंद्र मोदी के ‘दावे’ पर सवाल खड़े करते हुए कहा है कि 2014 में नमो का नारा था- न खाऊंगा और न खाने दूंगा और अब 2019 में है- सरकार में भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई आवाज नहीं. डॉ. शक्ति भार्गव ने सुप्रीम कोर्ट की ओर से कंपनी में भ्रष्टाचार की सीबीआई जांच कराने से जुड़े आदेश की एक कॉपी भी फेसबुक पर पोस्ट की है.
इस पूरे प्रकरण में सरकार की ओर से कोई संज्ञान न लिए जाने से तंग आकर डॉ भार्गव ने यह क़दम उठाया .
जानकी में उनका दावा है की सुप्रीम कोर्ट इस सम्बन्ध में CBI द्वारा इन्क्वारी कराने का आदेश दे चुकी है.