देश व दुनिया के राजनितिक व सामाजिक हालात पर नज़र डालने के बाद पता चलता है की किसी भी विचार धारा या राजनितिक फेर बदल में लगभग 50 –100 वर्ष लग जाते हैं ।हलाकू , चंगेज़ ,मुसोलिनी , मुंजे ,हिटलर , लेनिन , मार्क्स और हेडगेवार जैसी कुछ ज़ालिमों और कुछ लोगों के लिए पूजनीय का ज़िक्र कर चलें , इतिहासकारों के मुताबिक़ इन लोगों ने अपनी विचार धारा को समाज और दुनिया पर थोपने के लिए या सत्ता को हड़पने के लिए हरेक हरबा इस्तेमाल किया चाहे उसमें इंसानियत का कितना ही नुकसान क्यों न हो ।इन लोगों की विचार धारा में आध्यात्म , परोपकार , इंसानियत , नरमी , या राष्ट्रभक्ति दूर दूर तक नहीं मिलती ।ज़ुल्म ो जबर ,अत्याचार ो आतंक उनकी घुट्टी में था ।मुंजे और मुसोलिनी दुनिया के ज़ालिम तरीन शासकों में से रहे हैं RSS के फाउंडर हेडगेवार उनसे प्रभावित थे और उनकी ideology को आगे बढ़ाने में हिंदुस्तान को अपना मरकज़ बनाया हालांकि हिन्द की शान अनेकता में एकता , सेवा परमो धर्म , वसुधेव कुटुम्भकंभ , जैसे नज़रिए पर टिकी है…
जिसको रफ्ता रफ्ता ध्वस्त किया जा रहा है .आज देश की सभ्यता की परिभाषा विपरीत है जिसके लिए देश में बढ़ते फासीवाद को ज़िम्मेदार ठहराया जा रहा है और इसके लिए आरएसएस विचारधारा को ज़िम्मेदार ठहराया जारहा है ..आज जिस पोजीशन पर आरएसएस है इसको यहाँ तक आते आते लगभग 100 वर्ष लगे हैं , देश की आज़ादी में मुख्य भूमिका निभाने वाली कांग्रेस को देश से मिटाने का काम जिस चतुराई से आरएसएस ने किया उसके लिए आप समाज के टूटते सांप्रदायिक सद्भाव के ताने बाने को भी ज़िम्मेदार ठहरा सकते हैं जिसके लिए कांग्रेस बराबर की ज़िम्मेदार रही है ।
इसके अलावा देश में दूसरी नाम मात्र सेक्युलर पार्टियां साम्प्रदायिकता को न सिर्फ रोक नहीं पाए बल्कि बढ़ावा दिया ।जिस सेकुलरिज्म के नाम पर देश की कई क्षेत्रीय पार्टियां बरसों राज कर गईं अगर उनको अपना वुजूद क़ायम रखना है तो इन्साफ और ईमानदारी से सेक्युलर बनकर एक महा गठबंधन बनाना होगा और हरेक देश वासी को इस धारा से जोड़ना होगा नफरत का ज़हर निकालकर ,प्यार औरसद्भाव का जोश भरना होगा वरना वो दिन दूर नहीं जब या तो सेक्युलर पार्टियों के बड़े नेताओं को बीजेपी की गोद में बैठना होगा या फिर सड़क पर आवारा जानवर की तरह घूमना होगा ।उनको (RSS) को यहाँ तक पहुँचने में १०० वर्ष लग गए अब देखना है की सेक्युलर पार्टियों और कांग्रेस को वापस सेक्युलर बनकर सत्ता में आने में कितना वक़्त लगेगा ?
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