आॅल इंडिया तिब्बी यूनानी कांग्रेस के तत्वावधान में देहरादून में भव्य सम्मलेन का आयोजन
दुनिया की सबसे प्राचीन चिकित्सा प्रणाली यूनानी और आयुर्वेदा के चलन को ज़िंदा रखने के लिए भारत सरकार का स्वास्थ्य मंत्रालय अपनी वचन बद्धता को निभाने के लिए लगातार कार्यरत है , जिसके चलते लगातार कोई न कोई संसथान देश में खुलता रहा है , हालांकि विशेषज्ञों का मानना है के जिस प्रकार आयुर्वेदा को प्रोत्साहन दिया गया है यदि यूनानी को भी इसी मात्रा में दिया गया होता तो भारत दुनिया में उनानी का बाबा आदम होसकता था .
इस सिलसिले में सबसे पेह्ली कोशीश हकीम अजमल खान के दौर में करोल बाग़ तिब्बिया कॉलेज के रूप में हमें मिलती है , हालांकि खान साहब ने करोल बाग़ में सिर्फ यूनानी को ही शुरू नहीं किया था , महात्मा गांधीजी के कहने पर अजमल खान साहब ने आयुर्वेदा को भी यूनानी के साथ रखने का फैसला लिया जो आजतक जारी है .इसको तिब्ब के लोगों ने गंगा जमनी तहज़ीब का निशाँ भी कहा है .
1800 ई.तक यूनानी और आयुर्वेदा की चिकित्सा पद्धति ही पूरी दुनिया में प्रचलित थी लगभग 250 वर्ष पूर्व अंग्रेजी चिकित्सा पद्धति का चलन क़ायम हुआ ,जिसने दुनिया में इंक़लाब बरपा किया जबकि इससे मानवता का बड़े पैमाने पर स्वास्थ्य के ऐतबार से नुकसान हुआ , अँगरेज़ अपनी पद्धति को पूरी दुनिया में फैलाने में जंगी पैमाने पर रीसर्च और विज्ञापन का काम करते रहे .यूनान से अंग्रेज़ों को पुराना बैर था और वो इसका विकल्प लाना चाहते थे .
आज इसी सम्बन्ध में देश की यूनानी और आयुर्वेद को प्रोत्साहन देने वाली निजी संस्थाएं अपने अथक परिश्रम के बाद वापस इन्ही पद्धतियों को ज़िंदा करने में लगभग सफलता की ओर बढ़ रही हैं ,यह सही है की अभी काफी काम होना बाक़ी है .
देश की जानी मानी आल इंडिया यूनानी तिब्बी कांग्रेस (AITUC) संस्था इस सिलसिले में कई वर्षों से कार्यरत है और कई Pending प्रोजेक्ट्स को पूरा करने में सफल रही है . आल इंडिया तिब्बी यूनानी कांग्रेस की उत्तराखंड बेंच ने पिछले दिनों तस्मिया अकादमी देहरादून में एक भव्य सम्मलेन का आयोजन किया . जिसके मुख्य अतिथि अरुण कुमार त्रिपाठी (स्वास्थ्य निदेशक उत्तराखंड सरकार) ने यूनानी पद्धती की जमकर तारीफ़ की और इसको पूरी दुनिया में कारगर चिकित्सा पद्धती कहा .
उन्होंने इस सम्बन्ध में यूनानी कांग्रेस को हर संभव सहायता देने का आश्वासन दिया .और मौके पर ही उत्तराखंड में वर्षों से पड़े रिक्त स्थानों पर नियुक्ति का ऐलान किया .जिसमें चिकत्सक और फार्मासिस्ट शामिल हैं .साथ ही त्रिपाठी ने हिमालय ड्रग्स के चेयरमैन सय्यद फ़ारूक़ की आयुर्वेदा में उनकी सेवाओं की जमकर खुले दिल से तारीफ़ की .
इस अवसर पर A & U तिब्बिया कॉलेज करोल बाग़ के प्रधानाचार्य प्रोफेसर इदरीस ने अपने सदारती खिताब में कहा की अरुण कुमार त्रिपाठी क्योंकि ब्यूरोक्रेट के साथ टेक्नोक्रैट भी हैं इसलिए आप यूनानी की खूबियों को अच्छी तरह समझते हैं और आप जिस तरह यूनानी के लिए तेज़ी से सकारात्मक फैसले ले रहे हैं इससे उत्तराखंड में यूनानी की नयी राहें हमवार होने की संभावनाएं बढ़ गयी हैं.
प्रोफेसर ने उत्तराखंड सरकार द्वारा कलयर शरीफ में हाल ही में खोले गए यूनानी मेडिकल कॉलेज और मेडिसिन के लिए अरुण कुमार त्रिपाठी को मुबारकबाद दी और शुक्रिया भी अदा किया.प्रोफेसर इदरीस ने आगे कहा की देहरादून से हकीम अजमल खान साहब और अल्लामा कबीरुद्दीन के अलावा कई बड़े यूनानी लोगों का क़रीबी ताल्लुक़ रहा है ,उसकी वजह यहाँ की आब ओ हवा यूनानी के लिए बेहद मुफीद है .
उत्तर प्रदेश यूनानी के निदेशक डॉ मोहम्मद सिकंदर हयात सिद्दीक़ी ने राज्य की यूनानी की हालत से अवगत कराया और उन्होंने आल इंडिया तिब्बी यूनानी कांग्रेस की तारीफ़ करते हुए कहा इस प्रकार की दूसरी तंज़ीमों को भी यूनानी के लिए काम करना चाहिए .
टिहरी गढ़वाल के डिविशनल अफसर डॉ एम् पी सिंह ने उत्तराखंड की यूनानी और आयुर्वेद के लिए की जाने वाली कोशिशों की तारीफ़ की .
तिब्बी कांग्रेस युथ विंग के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ उबैदुल्लाह ने कहा की यूनानी तरीक़ा इलाज 5000 वर्ष पुराना है और पूरी इंसानियत इससे लाभ उठा रही है ,मगर आपसी ताल मेल की कमी की वजह से रिसर्च और डेवलपमेंट का काम नहीं हो पारहा है जिसपर काम होना चाहिए . और सरकारों को इसमें मदद करनी चाहिए .
देओबंद से पधारे डॉ मुहम्मद यूनुस ने यूनानी में शहद की खुसूसियत पर ज़ोर दिया और कहा यूनानी में अक्सर दवाओं में शहद का स्तेमाल है और हम कभी कभी इसका इमरजेंसी में भी स्तेमाल करते है उन्होंने कहाँ लगभग 5000 लोगों पर इस को आज़माया गया है और लोगों को शिफा मिली है .
इस सम्मलेन का परिचालन (निज़ामत) आल इंडिया तिब्बी यूनानी कांग्रेस के सेक्रेटरी जनरल डॉ सईद खान साहब ने बहुत ही शानदार अंदाज़ में किया और तिब्ब यूनानी को दुनिया के कामयाब तरीक़ा ऐ इलाज में शुमार किया . डॉ सईद पूरे देश में यूनानी की खिदमात के लिए रवां दवां रहते हैं ,और उनकी कोशिश है की इस पर मज़ीद रिसर्च का काम हो, नए नए कॉलेज और सेंटर्स खुलें और किसी हद तक वो अपनी कोशिशों में कामयाब होरहे हैं .
डॉ मुहम्मद असलम ने उत्तरखंड की तिब्ब यूनानी की सूरत ए हाल पर रौशनी डाली . आल इंडिया तिब्बी यूनानी कांग्रेस के जनरल सेक्रेटरी डॉ मुहम्मद युसूफ अंसारी ने तमाम मेहमानो का शुक्रिया अदा किया .