जॉर्डन के मुसलमानों ने पेश की दुनिया के लिए सोहाद्र की नई मिसाल, इससे दुनिया के दो बड़े मज़हबों के बीच आपस में बढ़ेगा भाईचारा, अम्न की राह होगी हमवार
अम्मान। ऐसे में जब पूरी दुनिया में मज़हब के नाम पर नफरत फैलाने का शैतानी अमल जारी है तभी अरब दुनिआ की छोटी सी रियासत जॉर्डन ने दुनिया में सोहाद्र , प्यार ओ मोहब्बत की अनोखी मिसाल पेश की है जॉर्डन के युवा मुस्लिमों ने ईसाइयों के ईस्टर उत्सव पर पूरे राज्य में चर्चों की रक्षा करने की अनूठी पहल का आगाज किया। यह पहल पिछले हफ्ते यहूद नवाज़ अलसीसी के Egypt (मिस्र ) में दो चर्चों पर हुए हमले के मद्देनज़र की गई थी। मिस्र के तंता और अलेक्जेंड्रिया में दो कॉप्टिक चर्चों पर हमलों ने 44 लोगों की मौत हो गई और 100 से ज्यादा घायल हो गए थे जिनमें कई बच्चे भी थे।
काज़ेम खराब्शे ने कहा कि रविवार को ईस्टर उत्सव पर हमारे भाई-बहन चर्चों में होंगे और अतिवादी धमकी दे रहे हैं ऐसे में मेरे मुस्लिम मित्र इन चर्चों और लोगों की रक्षा करेंगे। वे बार-बार राज्य की सुरक्षा के खिलाफ खतरों के बयान जारी कर रहे हैं। बलका निवासी फैज रुकिइडी ने कहा कि सतर्कता का कार्य जॉर्डनियों की एकता को रेखांकित करने और हर किसी को अपने धर्म की पूजा बिना डर के करने के लिए किये है।
दरअसल दुनिया को आज इसी पहल की ज़रुरत है जिसमें सभी देशों में वहां के अल्पसंख्यकों को मज़हबी आज़ादी के साथ उनकी जान माल की भी ज़िम्मेदारी या तो सरकारें सुनिश्चित करें या वहां की बहुसंख्यक उनकी सुरक्षा के लिए आगे आये ,यह देश की और इंसानियत क ी तरक़्क़ी का बेहतरीन जरिया और माध्यम साबित हो सकता है ।
मादाबा में हज़ेम अल फौकहाह ने कहा कि कई मुस्लिम को चर्च के सामने गार्ड के रूप में तैनात किया गया ताकि वे ईसाइयों की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकें। अजलुन के कार्यकर्ताओं ने जॉर्डन में सद्भाव और सौहार्दपूर्णता को दुनिया को दिखाने के लिए यह कदम उठाया है और ऐसा कर आदर्श प्रस्तुत करने का प्रयास किया।अम्मान के निवासी हला सादी ने जॉर्डन टाइम्स को बताया कि हम इस बात का यक़ीन दिलाते हैं की अपने देश में किसी भी अलप संख्यक को खौफ की ज़िंदगी नहीं बल्कि अम्न ओ आज़ादी की ज़िंदगी का यक़ीन दिलाते हैं । कई सुरक्षा चौकियों को देश के कुछ चर्चों के द्वार पर स्थापित किया गया जिससे कि उपासकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।