आख़िर वही हुआ जो हमने तेज बहादुर से कहा था
पीएम मोदी के ख़िलाफ़ गठबंधन ने सपा का प्रत्याशी बदल कर BSF से बर्खास्त तेज बहादुर यादव को टिकट देकर फेंका तुरप का पत्ता , मोदी के लिए बढ़ सकती है मुश्किल
नई दिल्ली : लोकसभा चुनाव 2019 का चौथा चरण गुज़र जाने के बाद बनारस का चुनाव काफी दिल चस्प होने की उम्मीद बढ़ गयी है . सपा-बसपा गठबंधन ने वाराणसी लोक सभा से उम्मीदवार को बदलते हुए शालिनी यादव के स्थान पर बीएसएफ से बर्खास्त जवान तेज बहादुर यादव को टिकट दिया है.
सपा-बसपा गठबंधन ने बनारस सीट को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है. समाजवादी पार्टी (सपा ) ने वाराणसी लोकसभा सीट से प्रत्याशी बदलते हुए तेजबहादुर यादव को टिकट दे दिया है , जिसके बाद बनारस की लड़ाई काफी दिलचस्प होने के इमकान हैं .
2 सप्ताह पहले ज्यों ही हमें तेज बहादुर के दिल्ली पहुँचने और जंतर मंतर पर मीडिया से रूबरू होने का समाचार हमें मिला फ़ौरन हमारी टीम उनसे बात करने वहां पहुंची और हमने प्रत्यक्ष उनसे बात की ,बात चीत के दौरान हमने यह भी पूछा की सपा से अपने टिकट की बात की ? इसपर उन्होंने जवाब दिया की हमारे कुछ लोग अखिलेश जी के संपर्क में हैं . हमको तभी आभास होगया था की सपा तेज बहादुर पर दांव खेल सकती है .
आपको बता दें तेज बहादुर यादव सीमा सुरक्षा बल यानी BSF कर्मी हैं , जिसने अर्ध सैनिकों को दिए जाने वाले भोजन की घटिया क्वालिटी से जुड़ा वीडियो जारी करने के बाद नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया था ,शायद यह बात उस वक़्त तेज बहादुर को भी नहीं पता होगी कि वो देश के प्रधान मंत्री के मुक़ाबले चुनाव लड़ेगा .
बीएसएफ के जवान तेज बहादुर यादव के 22 साल के बेटे रोहित यादव की रेवाड़ी के शांति विहार आवास पर संदिग्ध परिस्थिति में 17 जनवरी 2019 को मौत हो गई थी .तेज बहादुर के लिए नौ जवान बेटे की मौत उनकी बर्खास्तगी के बाद मानो कमर ही तोड़ गयी .
………….पुलिस के मुताबिक एक फोन कॉल आया कि रोहित ने आत्महत्या कर ली है. पुलिस ने बताया की उसको शव बेड पर पड़ा मिला . उस रोज़ तेज बहादुर यादव कुंभ मेला गए हुए थे जबकि रोहित की मां घर पर ही थी ,उन्हें जब कमरा अंदर से बंद मिला तो उन्होंने इसकी सूचना पुलिस को दी. पुलिस मामले की जांच में जुट गई है और मौत के करने का पता लगाने में जुट गयी है .
समाजवादी पार्टी ने हाल ही में शालिनी यादव को वाराणसी से उम्मीदवार बनाया था. बता दें कि शालिनी यादव कांग्रेस के पूर्व सांसद और राज्यसभा के पूर्व उपसभापति श्यामलाल यादव की पुत्रवधू हैं. वाराणसी में अंतिम चरण में 19 मई को चुनाव होने हैं.
बता दें कि २०१४ में BJP प्रत्याशी के रूप में नरेंद्र मोदी ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी अरविंद केजरीवाल को वाराणसी सीट से 3,71,784 वोटों के भारी अंतर से हराया था. नरेंद्र मोदी को कुल 5,81,022 वोट मिले थें. वहीं, दूसरे स्थान पर रहे अरविंद केजरीवाल को 2,09,238 मत मिले. जबकि कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय 75,614 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे थे. वहीं चौथे स्थान पर बहुजन समाज पार्टी और पांचवें स्थान पर समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार थे.
उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में वाराणसी का अपना अलग ही मक़ाम रहा है . नरेंद्र मोदी से पहले भूतपूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर, कांग्रेस के दिग्गज कमलापति त्रिपाठी, दिवंगत प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री के पुत्र अनिल शास्त्री और अटल बिहारी वाजपेयी कि कैबिनेट में केंद्रीय मंत्री रहे BJP के मार्गदर्शक मंडल के सदस्य व वरिष्ठतम नेता मुरली मनोहर जोशी भी यहां से सांसद रह चुके हैं.
बनारस की लोक सभा सीट कि तारीख़ एक नज़र में
अगर इस सीट कि तारीख़ पर हलकी सी नज़र डालें तो वर्ष 1957 और 1962 में कांग्रेस के रघुनाथ सिंह इस सीट से जीते थे, लेकिन 1967 में CPM के सत्यनारायण सिंह ने यहां कब्ज़ा कर लिया. उसके बाद 1971 में कांग्रेस ने राजाराम शास्त्री के ज़रिये इस सीट पर फिर कब्ज़ा जमाया, लेकिन 1977 में एमरजेंसी के चलते कांग्रेस-विरोधी लहर में भारतीय लोकदल की टिकट पर चुनाव लड़े चंद्रशेखर वाराणसी के सांसद बने थे .
1980 में कांग्रेस की वापसी हुई, और कमलापति त्रिपाठी ने इस सीट पर कब्ज़ा किया, और फिर 1984 में भी कांग्रेस के ही श्यामलाल यादव ने वाराणसी से जीत हासिल की. 1989 में जनता दल की टिकट से अनिल शास्त्री सांसद बने, और फिर 1991 से चार चुनाव तक यहां BJP का दबदबा बना रहा, और 1991 में श्रीश चंद्र दीक्षित के बाद 1996, 1998 और 1999 में शंकर प्रसाद जायसवाल ने जीत दर्ज की.
2004 के आम चुनाव में एक बार फिर यहां कांग्रेस की वापसी हुई, और राजेश मिश्र ने चुनाव जीता, लेकिन अगले ही चुनाव में 2009 में BJP के दिग्गज मुरली मनोहर जोशी ने इस सीट पर कब्ज़ा कर लिया. अगले चुनाव, यानी 2014 के आम चुनाव में सीट पर BJP ने अपने प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी नरेंद्र मोदी को टिकट दिया, जो भारी मतों के अंतर से जीत दर्ज कर लोकसभा पहुंचे.
उत्तर प्रदेश में 80 सीटें, 7 चरणों में मतदान की सूची पर एक नज़र
11 अप्रैल: गौतमबुद्ध नगर, कैराना, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, सहारनपुर
18 अप्रैल: अलीगढ़, अमरोहा, बुलंदशहर, हाथरस, मथुरा, आगरा, फतेहपुर सीकरी, नगीना
23 अप्रैल: मुरादाबाद, रामपुर, संभल, फिरोजाबाद, मैनपुरी, एटा, बदायूं, आंवला, बरेली, पीलीभीत
29 अप्रैल: शाहजहांपुर, खेड़ी़, हरदोई, मिश्रिख, उन्नाव, फर्रुखाबाद, इटावा, कनौज, कानपुर, अकबरपुर, जालौन, झांसी, हमीरपुर
6 मई: फिरोजाबाद, धौरहरा, सीतापुर, माेहनलालगंज, लखनऊ, रायबरेली, अमेठी, बांदा, फतेहपुर, कौशांबी, बाराबंकी, बहराइच, कैसरगंज, गोंडा
12 मई: सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, फूलपुर, प्रयागराज, अंबेडकर नगर, श्रावस्ती, डुमरियागंज, बस्ती, संत कबीर नगर, लालगंज, आजमगढ़, जौनपुर, मछलीशहर, भदोही
19 मई: महाराजगंज, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, बांसगांव, घोसी, सालेमपुर, बलिया, गाजीपुर, चंदौली, वाराणसी, मिर्जापुर, रॉबर्ट्सगंज