“आम चुनाव: आज दिल्ली वालों की परीक्षा है”
दिल्ली में आज लोकतंत्र का मेला है प्रत्येक व्यक्ति आज अपने और देश के भविष्य के लिए वोट दे रहा है चौराहों पर हार जीत पर बहस हो रही है। प्रत्येक व्यक्ति आशावान है कि उसका उम्मीदवार जीत जाएगा। हालांकि यह संभव नहीं है। लोकतंत्र बड़ी नेमत है परंतु इसकी कुछ सीमाएं हैं। आप इसके लिए तो आजाद हैं कि जिसे चाहे वोट दें,
लेकिन आप पाबंद हैं कि मशीन में जो बटन हैं वही दबा सकते हैं।लोकतंत्र की कमजोरी यह भी है यहां लोगों को गिना जाता है तोला नहीं जाता। वह व्यक्ति सफल होता है जिसको सबसे अधिक वोट प्राप्त होते हैं अगरचे उसके विपरीत उससे अधिक वोट क्यों ना पड़े हों।
दुर्भाग्यवश देश में एक बड़ी राजनैतिक पार्टी लोकतंत्र को फासीवाद की ओर ले जाना चाहती है। उसने देश में नफरत की सियासत की है। उसने अंग्रेजों की पालिसी बांटो और राज करो को आदर्श बनाया है। देश के प्रधानमंत्री ने देश, पद एवं मनसब की तमाम मर्यादाओं को दांव पर लगाया है इसी कारण अमरीकी टाइम मैगजीन ने मोदी जी को इंडियाज़ डिवाइडर इन चीफ़ कहा है।
आज का चुनाव लोकतंत्र और फासीवाद के बीच एक जंग है यह चुनाव तय करेगा की भविष्य में देश किन बिंदुओं पर चलेगा यहां लोकतंत्र के फूल खिलेंगे या फासीवाद के त्रिशूल। यह इलेक्शन का पांचवा मरहला है।
अभी तक जो रिपोर्ट मिल रही है उससे मालूम होता है की बीजेपी हार रही है। अभी चुनाव के दो मरहले और शेष हैं परंतु जहां जहां सेकुलर वोट विभाजित हो रहा है वहां बीजेपी जीत रही है। दिल्ली भी उन राज्यों में से एक है जहां सेकुलर वोट विभाजित होने का अंदेशा है।
आज दिल्ली वालों के शऊर अक्ल. एवं ज्ञान की परीक्षा है। यह बात हर व्यक्ति जानता है एवं पूरी तरह साफ है की अगर सेकुलर वोट कांग्रेस और आम आदमी पार्टी में विभाजित हुआ तो बीजेपी का रास्ता साफ हो जाएगा।
मुसलमानों ने सदैव देश की रक्षा, एकता एवं अखंडता के लिए वोट दिया है। भारत का इतिहास साक्षी है कि कभी और किसी चुनाव में भी मुसलमानों ने मांग की राजनीति नहीं की। उन्होंने प्रत्येक चुनाव में देश हित को सामने रखा है। मुसलमान यदि बीजेपी को नापसंद करता है तो केवल इसलिए कि उसकी पॉलिसी देशद्रोह पर आधारित हैं।
मुसलमानों ने अगर यूपी एवं बिहार में गठबंधन को वोट दिया है तो इसका कारण यह नहीं है की गठबंधन ने मुसलमानों से वादे कर लिए हो, बल्कि केवल इसलिए कि यह गठबंधन देश के दुश्मनों को हरा सकता है। अगर कहीं मुसलमान कांग्रेस को वोट करता है तो यह जानते हुए करता है की मुसलमानों की दुर्दशा की जिम्मेदार है, वह बाबरी मस्जिद के गिराए जाने को नहीं भूला है मुसलमान कोंग्रेस के वादे 70 साल से देखता आ रहा है.
मैं यह बात विश्वास से कह सकता हूं कि कांग्रेस मुसलमानों की पसंद नहीं बल्कि मजबूरी है।दिल्ली वासियों के लिए आम आदमी पार्टी बेहतरीन ऑप्शन है आप की हिमायत मैं इसलिए नहीं कर रहा हूं कि उसने अपने 4 साल के कार्यकाल में मुसलमानों को कुछ दे दिया है बल्कि इसलिए कर रहा हूं कि इस पार्टी के नेता फिरका परस्ती, जात पात तथा धार्मिक भेदभाव की राजनीति नहीं करते. वे मंदिर, मस्जिद तथा गुरुद्वारों को समान आंखों से देखते हैं शिक्षा, स्वास्थ्य एवं रोज़गार के मुद्दों पर कार्य कर रहे हैं।
दिल्ली वासी इस बात को माने या ना माने कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों एवं अस्पतालों मैं काफी सुधार आया है। आधी अधूरी हुकूमत और केंद्र सरकार की तरफ से परेशान किए जाने के बाद भी शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में अच्छे काम हुए हैं। हम जानते हैं कि शिक्षा और स्वास्थ्य व्यक्ति की प्रथम आवश्यकता है नालो व सड़को की तामीर से अधिक नई पीढ़ी की तामीर जरूरी है।
यह हो सकता है कि हमें पार्टी से शिकायत हो या उसके उम्मीदवार से कोई दुख पहुंचा हो, लेकिन यह समय शिकवे शिकायत करने का नहीं है संविधान की रक्षा करने का है।
एक एक वोट का महत्व है दुश्मन ने आपस में जंग कराने के सारे इंतजाम कर दिए हैं। ज़मीर फरोश और ईमान फरोश भी कार्य कर रहे हैं मगर आपको अपने ज़मीर की आवाज़ पर वोट देना है।
रमज़ान का मुबारक महीना है, भूख प्यास लगी है गर्मी अधिक है, हम यह भी जानते हैं कि जीतने वाले से हमें कुछ नहीं मिलने वाला इसके बावजूद हम वोट डालेंगे, अपना वोट तक्सीम नहीं होने देंगे। यह पार्लियामेंट का चुनाव है इसका क्षेत्र बड़ा होता है यदि पूरे क्षेत्र के लोग एक ही निशान पर वोट देंगे, तब जीत होगी और दुश्मन हार जाएगा।
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