NDA कैबिनेट में JDU कभी नहीं होगी शामिल:केसी त्यागी
JDU-BJP में दरार ? इसका किसको होगा लाभ और किसको भुगतना पड़ेगा नुकसान , एक आंकलन
नई दिल्ली : जदयू नेता केसी त्यागी ने बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा कि अब आगे कभी भी एनडीए के मंत्रिमंडल में JDU शामिल नहीं होगी . न्यूज एजेंसी ने त्यागी के हवाले से बताया , ‘जो प्रस्ताव दिया गया था, वह जेडीयू को अस्वीकार्य था. इसलिए हमने तय किया है कि भविष्य में जेडीयू भी एनडीए के नेतृत्व वाले केंद्रीय मंत्रिमंडल का हिस्सा नहीं बनेगी . यह हमारा अंतिम फ़ैसला है.’
आपको बता दें पीएम मोदी के कैबिनेट की शपथ के बाद जदयू और भाजपा में सब कुछ सही चलता हुआ नहीं दिख रहा है. पीएम मोदी के कैबिनेट में जदयू शामिल नहीं हुआ, जबकि NDA घटक के लगभग सभी सहयोगी दलों को एक-एक मंत्री पद दिया गया है.
वहीं दूसरी ऐसा माना जा रहा था कि जदयू को एक कैबिनेट और एक राज्यमंत्री का पद दिया जाएगा. लेकिन अचानक पता चला कि पीएम मोदी के कैबिनेट में जदयू शामिल नहीं हुई है. इसके बाद जवाब में रविवार को बिहार के CM नितीश कुमार ने अपने कैबिनेट का विस्तार करके आठ नए मंत्रियों को कैबिनेट में शामिल कराया गया लेकिन भाजपा कोटे के किसी भी मंत्री को शपथ नहीं दिलाई गई.
जबकि, भाजपा कोटे का एक मंत्रीपद खाली पड़ा है.इसके बाद ये अटकलें भी हैं कि JDU खुद को आगामी बिहार विधान सभा चुनाव से पहले NDA से अलग करना चाहेगी ताकि उसका बिहार में वर्चस्व बना रहे .आपको याद दिला दें इस बार लोक सभा में कांग्रेस ने क्षेत्रीय पार्टियों के साथ Alliance न करके उनको झटका दिया है , भले कांग्रेस को भी इसका नुकसान भुगतना पड़ा हो .
भले ही बिहार के उप मुख्यमंत्री और बिहार भाजपा अध्यक्ष सुशील मोदी ने इसकी सफाई में ट्वीट करते हुए लिखा है, ‘नीतीश कुमार ने भाजपा कोटे की खाली पड़ी मंत्री सीट को भरने को ऑफर दिया था. लेकिन हमने इसे भविष्य में भरने का फैसला किया है.’
बिहार के इस सियासी भूचाल के चलते मंत्री मंडल विस्तार के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक PC में कहा कि यहाँ सब कुछ ठीक है और किसी प्रकार का भ्रम किसी को मन में नहीं रखना चाहिए. नीतीश ने कहा कि विधानसभा का सत्र आने वाला है इसलिए विस्तार हुआ है. उन्होंने कहा कि जनता दल यूनाइटेड की ओर से आठ लोगों के पद खाली होने के कारण कुछ लोगों पर अधिक मंत्रालय का भार था जिसे कम करने के लिए मंत्रिमंडल विस्तार किया गया है.
साथ ही नीतीश ने कहा कि जब गठबंधन बनता है तो उसी समय विभाग और उनकी संख्या भी तय हो जाती है. अभी मंत्रिमंडल में जगह खाली थी इसलिए मंत्रिमंडल विस्तार किया गया. उन्होंने कहा कि कोई भी जगह खाली रहेगी तो कभी भी विस्तार हो सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि गठबंधन में सब कुछ ठीक है.
आपको बतादें बिहार कि राजनीती में आया यह हल्का भूचाल आगामी २०२० विधान सभा चुनाव कि बिसात खोलता नज़र आता है , इस बार कांग्रेस ने क्षेत्रीय पार्टियों के साथ बड़े पैमाने पर अलायन्स न करके यह बताना चाहा है कि कांग्रेस भी अगर इलाक़ाई पार्टियों के साथ कोई सियासी संधि नहीं करती है तो इसका अब सीधा नुकसान उन्ही को होगा जिसकी झलक 2019 लोक सभा में देखने को भी मिली .
यह बात लगभग सही है कि पिछले NDA सत्ता काल में BJP का प्रशंसा ग्राफ नीचे आया था जिसको कांग्रेस ने किसी हद तक कॅश भी किया और कांग्रेस वोट परसेंटेज इस बार 2014 के मुक़ाबले 4 से 5 % बढ़ गया , जबकि इलाक़ाई पार्टियों का वोट प्रतिशत घट गया . दरअसल कांग्रेस की सियासी रणनीति का यह हिस्सा है और वो रफ्ता रफ्ता क्षेत्रीय पार्टियों को ठिकाने लगा देना चाहती है .
मगर देखना यह है कि वोटर कांग्रेस कि इस नीति का कहाँ तक समर्थन करता है क्योंकि ultimately अंतिम फ़ैसला जनता का ही होगा ,इसके लिए कांग्रेस को ग्राम पंचायत स्तर पर अपने संगठन को मज़बूत करने के लिए कठोंर परिश्रम करना होगा तथा कांग्रेस प्रशासित राज्यों में कुछ करके दिखाना होगा यानि रोल मॉडल पेश करना होगा . जिसके लिए फिलहाल कांग्रेस तैयार नज़र नहीं आरही है .