शी चिनफिंग चीन के सबसे ताकतवर नेता या कल के तानाशाह?
बीजिंग। आजीवन सत्ता में बने रहने का रास्ता साफ होने के बाद चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने मंगलवार को सख्त तेवर दिखाए। उन्होंने कहा कि चीन अपने क्षेत्र का एक इंच जमीन भी किसी को नहीं देगा। साथ ही कहा कि वह दुनिया में अपना उचित स्थान पाने के लिए खूनी संघर्ष के लिए तैयार है। चिनफिंग ने चीन की संसद के सत्र के अंतिम दिन 30 मिनट का उग्र राष्ट्रवादी भाषण दिया।
उन्होंने कहा कि आधुनिक काल की शुरुआत से महान चीनी राष्ट्र का कायाकल्प हमारे देश का सबसे बड़ा सपना बन गया है। उन्होंने कहा, “चीन और उसके लोगों का मानना है कि हमारी जमीन का एक इंच भी चीन से अलग नहीं होगा।” हालांकि उन्होंने किसी क्षेत्र संबंधी मसले का उल्लेख नहीं किया, लेकिन भारत सहित पड़ोसी देशों के साथ चीन का सीमा विवाद है। उन्होंने कहा कि चीनी लोग अजेय और दृढ़ हैं। हमने दुश्मन के खिलाफ खूनी लड़ाइयां लड़ी हैं। दुनिया में उचित स्थान पाने के लिए हमारे पास मजबूत क्षमताएं हैं। चीनी लोगों में चीनी राष्ट्र के कायाकल्प की क्षमता है। चिनफिंग ने कहा, “मुझे उम्मीद है 1.3 अरब चीनी लोगों का यह सपना हम अवश्य ही सच्चाई में बदलेंगे।”
अलगाववादियों को सख्त संदेश
चिनफिंग ने अलगाववादियों को सख्त संदेश दिया। उन्होंने कहा कि हमें देश की संप्रभुता और अखंडता की रक्षा करनी चाहिए और मातृभूमि का पूर्ण एकीकरण हासिल करना चाहिए। देश में अलगाववाद को का प्रयास सफल नहीं होगा। अलगाववादी की कार्रवाइयों को चीनी जनता से ऐतिहासिक निंदा और सजा मिलेगी। उनमें अलगाववादी कार्रवाइयों पर विजय पाने की क्षमता है। चिनफिंग का इशारा ताइवान की तरफ था।
चिनफिंग ने बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव (बीआरआई) को लेकर दुनिया की चिंताओं को दूर करने की बात भी कही। उन्होंने कहा कि चीन का विकास किसी देश के लिए खतरा नहीं है। चीन के राष्ट्रपति ने पहली बार संसद के सत्रावसान को संबोधित किया। हर वर्ष चीन के प्रधानमंत्री प्रेस कांफ्रेंस के साथ संसद सत्र का अंत होता है।
शी चिनफिंग, माओ जेडोंग के बाद चीन के सबसे शक्तिशाली नेता
राष्ट्रपति शी चिनफिंग, माओ जेडोंग के बाद चीन के सबसे शक्तिशाली नेता के रूप में विश्व के सामने खड़े हैं। नेशनल पीपुल्स कांग्रेस द्वारा चिनफिंग शनिवार को राष्ट्रपति के रूप में दूसरे पांच साल के कार्यकाल के लिए फिर से चुने जाएंगे। कम्युनिस्ट पार्टी के क्रांतिकारी और एक बार के उप-प्रधानमंत्री शी झोंग्क्सन के बेटे, शी चिनफिंग ने दशकों तक पार्टी और सरकार का रुख अपनाते हुए काम किया, लेकिन 2012 में पार्टी के प्रमुख बनने के बाद से उनके हाथ में सत्ता आई और फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
2012 तक सभी को लगता था कि शी चिनफिंग एक सामान्य नेता हैं। राष्ट्रपति के बाद वह कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव बने और चीन की सेना के चैयरमैन भी। तब चीन के साथ-साथ पीछे विश्व को पता चल गया कि शी चिनफिंग को समझने में राननीतिक पंडितों ने बड़ी चूक की थी। किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि माओ जेडोंग के बाद शी चिनफिंग एक बार फिर संविधान से ऊपर हो जाएंगे। चीन में शी चिनफिंग की मर्जी के बिना एक पत्ता भी नहीं हिलेगा। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी, राष्ट्रपति के अधिकतम 10 साल के शासन की परंपरा को तोड़ रही है। शी चिनफिंग दूसरी बार राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं। लेकिन अब ये कहना बड़ा मुश्किल है कि वह कितने साल और सत्ता पर काबिज रहेंगे।
हालांकि शी चिनफिंग पहले ऐसे चीनी नेता नहीं हैं, जिनकी राजनीति इच्छाएं संविधान से ऊपर हो गई हैं। इससे पहले चीन में ऐसे प्रस्ताव सामने आए। इसीलिए सुधारवादी नेता डेंग शियाओपिंग ने 10 साल के कार्यकाल का प्रावधान पेश किया था। 1982 से 1987 तक चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के चेयरमैन रहे शियाओपिंग को लगा कि इस प्रावधान के बाद कोई माओ त्से तुंग की तरह सत्ता का दुरुपयोग नहीं कर पाएगा। माओ त्से तुंग चीनी गणतंत्र के संस्थापक थे। अभी उसी राह पर शी चिनफिंग चल रहे हैं। अब देखना ये है कि शी चिनफिंग सत्ता के जिस शिखर पर बैठे हैं, वहां से कितना और ऊपर उठ पाते हैं। कहीं शी चिनफिंग कल ‘तानाशाह’ के रूप में न उभरे, जिसकी संभावना जताई जा रही है।